ममता टमोटिया

"क्या लिखूँ...क्या न लिखूँ
जीवन एक अनजान
यात्रा,
पता नहीं कहां से,
जन्म
दुर्ग
कहते हैं, भिलाई की खुशबु
शुरुआत
सब कुछ बदलाव...
और बदलाव....
शायद,
65 की उम्र में
फिर शुरुआत,
मेरी गुरु,
विजया त्रिपाठी और
सिलसिला...
सीखने के लिए कोई उम्र,
कोई भी
मेरा काम तीन वर्ष का,
कुछ अनुकृति और कुछ "स्व रचना"
आपकी नजर!"